छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत का तांडव… 16 मासूमों की मौत, क्या सिर्फ डॉक्टर और सिरप जिम्मेदार…?

Chautha Sthambh

छिंदवाड़ा जिले में बच्चों की मौत का तांडव… 17 मासूमों की मौत, क्या सिर्फ डॉक्टर और सिरप जिम्मेदार…?

छिंदवाड़ा में
किडनी फेलियर से दो और मासूम की मौत….

तामिया के जूनापानी गांव की डेढ़ साल की मासूम धानी डेहरिया की नागपुर में मौत…

26 सितंबर से चल रहा था इलाज…

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  • मृतकों की संख्या छिंदवाड़ा जिले में 17 पर पहुंची..

    आरोपी डॉक्टर प्रवीण सोनी से भी कराया था इलाज…

    छिंदवाड़ा (चौथा स्तंभ )जिले में किडनी फेल्योर से मरने वाले बच्चों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा । वर्तमान जानकारी के अनुसार तामिया ब्लॉक के जूना पानी गांव में रहने वाली एक डेढ़ साल की मासूम धानी डेहरिया की नागपुर में मृत्यु हो गई है बालिका की दोनों किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर चुकी थी और उसका 26 सितंबर से इलाज चल रहा था । बालिका का शुरुआती इलाज डॉक्टर प्रवीण सोनी ने किया था और उसे भी वही कफ सिरप दिया गया था, जिसको प्रतिबंधित किया गया है।


    वर्तमान में छिंदवाड़ा जिले में किडनी फेल्योर से मरने वाले बच्चों की संख्या 17 हो गई है।

    दूसरी बच्चे की मौत

    जयुषा हार गई जिंदगी की जंग…छिंदवाड़ा में अब बच्चों की मौत का आंकड़ा 17 हुआ…नागपुर के अस्पताल में चल रहा था उपचार…छिंदवाड़ा धीरेंद्र सिंह अपर कलेक्टर पुष्टि… छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव में रहने वाली जयुषा यदुवंशी…पांच बच्चों की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है जिनका उपचार नागपुर के अस्पताल पर चल रहा है…


    धीरेंद्र सिंह अपर कलेक्टर

    अधिकारी नेताओं के साथ पहुंचे मुख्यमंत्री, मुंह ताकते रहे पीड़ित
    छिंदवाड़ा के परासिया में 16 बच्चों के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री को छिंदवाड़ा आना पडा, मुख्यमंत्री का दौरा भी तब बना जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सोमवार को छिंदवाड़ा और परासिया जाने का अपना छिंदवाड़ा पहुंचे प्रोग्राम जारी किया। आनन फानन में मुख्यमंत्री ने 6 अक्टूबर को अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर छिंदवाड़ा का रुख किया। और परासिया में न्यूटन पहुंचकर मासूम मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाकात की। सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री के साथ छिंदवाड़ा जिले के वह नेता भी नजर आए जो पिछले एक महीने में कभी किसी मासूम बच्चों के परिजन से मिलने नहीं पहुंचे। वह भी मुख्यमंत्री के बहाने मासूम मृतक बच्चों की परिजनों को सांत्वना देते नजर आए। और मृतक बच्चे के परिजन नेताओं एंव मुख्यमंत्री का मुंह ताकते रहे…


    कांग्रेस के एक्टिव होने के बाद ही जाग प्रशासन…
    इस पूरे मामले में सबसे पहले महत्वपूर्ण भूमिका परासिया विधायक सोहन वाल्मीक ने निभाई। उन्होंने पहली मासूम बच्चे की मौत के बाद ही मुख्यमंत्री और कलेक्टर को इस बात से अवगत करा दिया था कि यह गंभीर मामला है लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी उनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और नकुलनाथ भी एक महीने के दौरान कभी भी मासूमों की खोजखबर लेने नहीं पहुंचे। आखिरकार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी को छिंदवाड़ा जाकर कांग्रेस की उपस्थिति दर्ज करानी पड़ी।

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