भाजपा सरकार ने किसानों पर थोपा तुगलकी फरमान- नकुलनाथ
प्रदेश की सरकार ने अन्नदाता के साथ भ्रष्टाचार का नया रास्ता खोला
वितरण केन्द्र पर ही रिकॉर्ड रखा जाए, किस खाते पर कितना खाद दिया
छिन्दवाड़ा (चौथा स्तंभ)
भाजपा की सरकार ने किसानों की आय नहीं बल्कि आफत और मुसीबत दोगुनी की है। कृषि यंत्रों से लेकर खाद, बीज और आवश्यक दवाइयां व मजदूरी सबकुछ महंगी है। महंगी नहीं है तो सिर्फ और सिर्फ किसान की उपज। खाद की कमी से फसलों की पैदावार प्रभावित, मौसम की मार से फसलें खराब। बची हुई उपज को पर्याप्त बाजार मूल्य नहीं मिलना, कृषि को हानि का धंधा बना रही। इन सबके बाद सरकार का तुगलकी फरमान…….किसान भाइयों पर दुबले पर दोहरा असाढ़ है। जिले के पूर्व सांसद माननीय नकुलनाथ जी ने खाद के लिए किसानों को पटवारी से पावती सत्यापन वाले आदेश की निंदा करते हुए उक्त उदगार व्यक्त किए।
माननीय नकुलनाथ जी ने जारी बयान में कहा कि खाद प्राप्त करने से पहले किसान भाइयों को पटवारी से पावती पर सत्यापन कराने वाला आदेश पूरी तरह अव्यवहारिक व तर्कहीन है। क्योंकि छिन्दवाड़ा-पांढुर्ना जिले में खरीफ एवं रबी सीजन की फसलों के अतिरिक्त पूरे वर्षभर विभिन्न प्रकार की सब्जी, फूल अथवा फलों की खेती भी होती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि पटवारी का कोई स्थाई कार्यालय नहीं होता, ऐसे में किसान पूरे वर्ष सत्यापन हेतु पटवारी के पीछे कहां-कहां भटकते रहेंगे? या फिर अपनी खेती-किसानी पर ध्यान देंगे? प्रदेश सरकार ने आदेश के दुष्परिणामों पर ध्यान नहीं दिया इसीलिये बगैर सोचे-समझे आदेश जारी कर यह साबित किया है कि वह किसान हितैषी नहीं बल्कि किसान विरोधी है। सीमित समय व संसाधनों से कृषि कार्य को पूरा करने वाला अन्नदाता सतत रूप से मुश्किलों से जूझ रहा। इन्हीं तमाम कारणों के चलते खेती मुनाफे का धंधा नहीं रहा। परिणामस्वरूप किसान भाई खेती से दूर हो रहे, इसके लिए पूर्णत: सरकार की किसान विरोधी नीतियां जिम्मेदार है।
वितरण केन्द्र पर ही होनी चाहिए सम्पूर्ण जानकारी:-
नकुल नाथ ने जारी बयान में सुझाव देते हुए कहा कि वितरण केंद्र पर ही प्रबंधक द्वारा किसान के भूमि खाते पर दी जाने वाली खाद का सम्पूर्ण ब्योरा होना चाहिए। यहां ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि किस भूमि खाते पर कितनी खाद दी जा रही उसका रिकॉर्ड रखा जाए। भूमि का सम्पूर्ण रिकॉर्ड ऑनलाइन है और किसान भाइयों को भी उनकी भूमि की पावती (CLR) ग्वालियर से डिजिटल साइन होकर प्राप्त होती है। लोक सेवा केंद्रों से CLR के हस्ताक्षर वाली सत्यापित प्रति प्राप्त होती है, इसके बाद उसे पटवारी से सत्यापित करवाने का कोई औचित्य नहीं है। बावजूद इसके किसान पटवारी के पास जाकर पावती सत्यापन के लिए परेशान हो रहा। इसका सीधा अर्थ है कि सरकार या तो भ्रष्टाचार के रास्ते खोल रही या फिर सोची समझी साजिश के तहत किसान भाइयों को परेशान किया जा रहा है।
पटवारी सत्यापन करेगा तो शेष कार्य कब करेगा ?
नकुलनाथ ने जारी बयान के अंत में कहा कि यूरिया प्राप्त करने के लिए किसानों को वर्ष में तीन-चार बार पावती सत्यापन के लिए पटवारियों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। एक एकड़ कृषि भूमि पर मात्र दो बोरी यूरिया दी जा रही है। पटवारी फील्ड का कर्मचारी है, जिसका कोई आफिस नहीं है एक जगह नहीं मिलते, सत्यापन के अलावा भी पटवारियों के पास बहुत काम है, चूंकि छिंदवाड़ा सब्जी बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें यूरिया अधिक मात्रा में लगती है। ऐसे में किसान भाइयों को अधिक परेशान होना पड़ेगा। इसीलिये अविलम्ब सरकार आदेश पर पुन: विचार करें और किसानहित में आदेश को तत्काल वापिस लें।

