खेल मैदान से शिक्षा तक : शिक्षक राकेश चौरसिया ने बनाई पहचान
छिन्दवाड़ा/(चौथा स्तंभ) शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं होती। जब कोई शिक्षक कक्षा से बाहर निकलकर खेल मैदान में भी बच्चों को दिशा देता है, तब उसका व्यक्तित्व केवल अध्यापक का नहीं, बल्कि ‘क्रियाशील गुरु’ का प्रतीक बन जाता है। जिले के पीएम श्री एम.एल.बी. स्कूल के खेलकूद शिक्षक राकेश चौरसिया इसी प्रेरक उदाहरण के रूप में जाने जाते हैं।

बी.पी.एड. और एम.पी.एड. में गोल्ड मेडलिस्ट रहे राकेश चौरसिया ने बैडमिंटन, बास्केट बॉल, टेबल टेनिस जैसे अनेक खेलों में जिले का प्रतिनिधित्व किया। वे 11 बार राष्ट्रीय शालेय बैडमिंटन स्पर्धा में हिस्सा ले चुके हैं। क्रीड़ा अधिकारी, मास्टर ट्रेनर और चयनकर्ता के रूप में उनकी सेवाएँ कई खिलाड़ियों के करियर निर्माण में मील का पत्थर साबित हुई हैं।
“किताबों से बढ़कर जो जीवन का पाठ पढ़ा जाए,
वही असली गुरु है जो हर मोड़ पर राह दिखा जाए।”

खेल क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए छिंदवाड़ा कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह एवं जिला शिक्षा अधिकारी श्री जी.एस. बघेल ने उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया है। उनके मार्गदर्शन में तैयार हुए अनेक छात्र-छात्राएं आज विभिन्न संस्थानों में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
शिक्षक दिवस पर राकेश चौरसिया जैसे समर्पित शिक्षकों को नमन, जो बच्चों को कक्षा से लेकर खेल मैदान तक जीवन जीने की सच्ची शिक्षा दे रहे हैं।

