छात्रावास में बच्चे बीमार, बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे अधीक्षक….

Chautha Sthambh

आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास प्रतापगढ़ बदला में फिर आई अधीक्षक की लापरवाही सामने…?

जिलें आदिवासी छात्रावास में छात्र बीमार, एक छात्र की मौत से भी सबक नहीं ले रहा जनजातीय विभाग…?


छिंदवाड़ा (चौथा स्तंभ)जिलें के जनजातीय विभाग द्वारा संचालित छात्रावास/ आश्रम शालाओं में इन दिनों आदिवासी बच्चों की जिदंगी भगवान भरोसे चल रही है, जिलें के अधिकाश छात्रावास में बच्चे बीमार रहते हैं लेकिन अधीक्षक इनकी सुंध नहीं लेते है… जबकि जिले में ऐसे ही अधीक्षक की लापरवाही से एक छात्र की मौत हो चुकी है लेकिन फिर भी जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ध्यान नहीं दे रहे हैं विगत वर्षों पहले ऐसे ही एक अधीक्षक की लापरवाही से एक बच्चों की मौत हो चूकि है!

रात में छात्रावास में नही रहते अधीक्षक…?
जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास एवं आश्रम शालाओं में इन दिनों अधीक्षक की लापरवाही चरम पर है, जिलें के छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक कभी भी रात्रि में नही रहते है, जिसके कारण ऐसी लापरवाही देखने को मिलती है,.. ऐसा ही मामला आज देखने को मिला आदिवासी अंचल तामिया के प्रतापगढ़ बादला छात्रावास में जंहा एक बच्चा कई दिनों से बीमार होने के बाद भी उसका सही इलाज नहीं हो रहा है और आदिवासी भारिया समाज का बच्चा छात्रावास में बिना इलाज के बुखार से तड़प रहा है लेकिन अधीक्षक को छात्र का इलाज करने की फुर्सत नहीं है,ज्यादा से ज्यादा छात्रावास के कर्मचारी बच्चों को देलाखारी में झोलाछाप डॉक्टर के पास इलाज करा दिया जाता है, चाहे वो ठीक हो या न हो उन्हें कोई मतलब नहीं रहता है चाहे छात्र बुखार से तड़पता रहे!

अधीक्षक मजीत पवार कई बरसों से है यहां पर पदस्थ…?

जिलें के आदिवासी ब्लॉक तामिया में इन दिनों अधीक्षक की मनमानी देखने को मिल रही है, इन्हें आदिवासी बच्चों के भबिष्य की कोई चिंता नही है ना ही विभाग के उच्च अधिकारी को इन आदिवासी समाज के बच्चों की चिंता है इसलिए अधीक्षक की शिकायत होने पर भी नही हटाया जाता है, जो शिक्षक एक बार अधीक्षक बन गया तो समझे दस पाँच सालों तक इन्हें कोई नही हटा सकता है, चाहे वह कितनी ही गलती करें, ऐसे ही कई शिकायत होने के बाद भी मंजीत पवार को नही हटाया गये है!

छात्रावास अधीक्षक कर रहे नेतागिरी…?

जिलें के जनजाति कार्य विभाग द्वारा संचालित छात्रावास आश्रम शाला में पदस्थ शिक्षक (अधीक्षक ) इन दिनों नेतागिरी करते नजर आ रहे है, क्योंकि इन शिक्षकों को अधीक्षक या तो किसी नेताजी के कहने पर अधीक्षक बनाया जाता है या फिर रूपराम के बल पर अधीक्षक के पद पर नियुक्त होते है..

शिकायत पर सहायक आयुक्त हटाते है.. अधीक्षक ले आते है कोर्ट से स्टे…?
जनजातीय विभाग में इन दिनों छात्रावास यदि लापरवाही या किसी की शिकायत पर यदि किसी छात्रावास अधीक्षक को छात्रावास से अधीक्षक के पद से हटाकर स्कूल में पढाने के लिए आदेश किया जाता है तो अधीक्षक सहायक आयुक्त के आदेश को चुनौती देते हुए सीधे कोर्ट से स्टे लेकर आ जाते हैं और सहायक आयुक्त के आदेश को ठेंगा देखते नजर आ रहे है ऐसे कई मामलों जिलें में देखने को मिल रहे है..

साहब बुखार से तड़प रहा जूनियर छात्रावास प्रतापगढ़ बदला का बच्चा, आखिर कब दोगे ध्यान..?

आखिर कब लेंगे गंभीरता से सहायक आयुक्त ऐसे मामले…?
जनजातीय विभाग में अधीक्षक की लापरवाही के दर्जनों मामले आ चुके हैं लेकिन इन अधीक्षक पर सहायक आयुक्त कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जिसका फायदा इन दोनों छात्रावास अधीक्षक उठाते नजर आ रहे हैं..यदि जिलें के छात्रावास में कोई अधीक्षक की लापरवाही से बच्चों के साथ कोई दुर्घटना होती है तो सीधे तौर पर ऐसे अधीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए ताकि छात्रावास अधीक्षक इससे कुछ सबक ले सकें…?

छात्रावास की निगरानी करने वाले मंडल संयोजक, क्षेत्र संयोजक बैठे है जिला मुख्यालय में..?
जनजातीय कार्य विभाग ने जिलें में संचालित छात्रावास एंव आश्रम शालाओं की निगरानी करने के लिए जिले में मंडल संयोजक,, क्षेत्र संयोजक की नियुक्ति की है ताकि ये लोग छात्रावासों की निगरानी कर सकें, लेकिन देखा जा रहा है कि इन जिलें में पदस्थ मंडल संयोजक एंव क्षेत्र संयोजक कभी भी इन छात्रावासों का निरीक्षण नही करते है बल्कि जिला मुख्यालय में बैठकर अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं.. इन्हे कोई मतलब नही कि जिलें के छात्रावास में क्या चल रहा है..

पे डाटा में साइन करने के लिए बुला लेते हैं अधीक्षक को जिला मुख्यालय में…?

जिलें के जनजातीय विभाग के छात्रावास एवं आश्रम शाला में पदस्थ अधीक्षक को यदि कोई काम होता है या उन्हें पे डाटा में साइन करना होता है तो जिला मुख्यालय में बैठे क्षेत्र संयोजक एंव मंडल संयोजक के घर जाकर या फिर ऑफिस में साइन कर लेते हैं और उनका काम बन जाता है.. इसलिए इन दिनों अधीक्षक की लापरवाही चरम पर है लेकिन इन आदिवासी समाज के बच्चों की सुनने वाला कोई नहीं है..!

सहायक आयुक्त ने कहा…

छात्रावास में यदि कोई बच्चा बीमार है और उसका इलाज नही हो रहा है तो ये बडी लापरवाही है । और जो भी व्यक्ति इस मामले में दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *